Thursday, May 3, 2018

Siratal Mustaqeem - The Right(Straight) Path



Assalamoalaikum Warahmatullahi Wa Barkatuhu
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान हिर्रहीम।

दोस्तों मेरे पहले ब्लॉग पर आप सबको खुशआमदीद। आज हमलोग जानेंगें सिरातल मुस्तक़ीम के बारे में। 

दोस्तों ये  ज़िन्दगी एक सफर है और सफर  में रास्ते का बहुत अहम किरदार होता है। रास्ते ही हमें हमारी मंज़िल तक पहुँचाते हैं। अगर रास्ता सीधा हो तो हम अपनी मंज़िल तक जल्दी पहुँच जाते हैं लेकिन अगर रास्तें  ही सीधे न हों  तो फिर मंज़िल तक पहुंचना नामुमकिन हो जाता है। हम अक्सर ज़िन्दगी में एक ऐसा रास्ता तलाश करते रहते हैं जिसपर चलकर हम अपनी मंज़िल तक आसानी से  पहुंच सके। ऐसा रास्ता जिसमें आसानी हो ,जो हमारे ज़िन्दगी के सफर को आसान बना दे। और जब हम इस रास्ते को तलाश करते हैं तो एक न एक दिन ये रास्ता हमें मिल जाता है , और यहीं से शुरू होता है हमारा कामयाबी का सफर। 
आइये अब हम जानते हैं के ये सीधा रास्ता आखिर होता क्या है।

Siratal Mustaqeem Ka Matlab

सिरात अरबी जबान का लफ्ज़ है जिसका मतलब है रास्ता और मुस्तक़ीम का मतलब है सीधा, यानि सीधा रास्ता।
  • सीधा रास्ता मतलब जिस पर चल कर हम अपने रब तक पहुंच सकते हैं। ऐसा रास्ता जो न हमें इंतहापसन्दी सिखाता  है और ना ही रहबानीयत। ये हमें बीच का रास्ता बताता है। 

  •  सिरातल मुस्तक़ीम ही कामयाबी का रास्ता है। हम इसे छोड़ कर कामयाब नहीं हो सकते और न ही मंज़िल तक पहुँच सकते हैं।

  • जैसे हम एक एक्ज़ाम्पल लेते हैं। हम सारे  लोग खाना कहते हैं क्यूंकि जिन्दा रहने के लिए खाना जरूरी होता है। अब अगर हम खाना ज्यादा खा लेंगे तो हमें बहुत  सारी बीमारियाँ हो जाएँगी और अगर कम खाएंगे तो हम कमजोर हो जायेंगे।

  •  अब  ज्यादा और कम के बीच जो होता है हम उसे ही खाएंगे ताके  हम न बीमार हों और ना  ही कमजोर हों। इसी को कहते हैं सिराते मुस्तक़ीम। 

  • ना तो हमें इस दुनिया में इतना गुम हो जाना  है के हम अपने असल को ही भूल जाएं  और  ना ही इस दुनिया से अपने आप को इतना दूर कर लें की हम यहाँ क्यों आए थे यही भूल जाये।  

Siratal Mustaqeem Ka Quran mein Zikr

कुरआन ने बार-बार सिरातल मुस्तक़ीम का जिक्र किया है। इसने हमें बहुत ही तफसील के साथ इसका मतलब बतलाया है। यहाँ मैं कुछ आयात बतला रही हूँ जो सिरातल मुस्तक़ीम के बारे में है -
  • ऐ औलाद -ए आदम क्या मैंने  तुम्हे ताक़ीद नहीं कर दी थी  के तुम शैतान की इबादत ना करना वह तुम्हारा शरीह दुश्मन हैं और यह के मेरी ही इबादत करना यही सीधा रास्ता है।Surah Yaseen -61

  • सो हमने तुम्हारे पास एक साफ़ नूर भेजा है सो जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और उन्होंने उस को मज़बूत पकड़ा सो ऐसों को अल्लाह तआला अपनी रहमत में दाखिल करेंगे और अपने फज़ल में और अपने तक उनको सीधा रास्ता बता देंगे। Surah  An-Nisa -176

  • और मैं इस तौर पर आया हूँ के तश्दीक करता  हूँ इस किताब की जो मुझसे पहले थी यानी तौरात(jew's  holy book ) की  और इस लिए आया हूँ के तुम लोगों के वास्ते बाज़्ये ऐसे चीज़ें हलाल कर दूँ जो तुम पर हराम कर दी गयी थी और मैं तुम्हारे पास दलील (नबुव्वत ) लेकर आया हूँ तुम्हारे परवरदीगार की जानिब  से ,हासिल यह के तुम लोग अल्लाह से डरो और मेरा कहना मानो बेशक अल्लाह मेरे भी रब हैं और तुम्हारे भी  हैं सो तुम लोग उसकी   इबादत करो बस यह  है  सीधा रास्ता। Surah Al-Imran- 51

  • तुम्हारे पास अल्लाह तआला की तरफ से एक रौशन चीज़ आयी है एक किताब वाज़ेह के इसके जरिये से अल्लाह तआला ऐसे शख्सों को जो राजा -ए  हक के तालिब हों सलामती की राह बतलाते हैं और उन की  अपनी तौफीक से तारीकियों से निकाल कर नूर की तरफ ले आते हैं और उनको राह-ए -रास्त पर कायम रखते हैं।  

Siratal Mustaqeem Or Paigambar(prophets )

सिरातल मुस्तक़ीम को ही बतलाने के  लिए अल्लाह तआला ने लगभग एक लाख चौबीस हज़ार पैगम्बरों को इस दुनिया में भेजा। सारे  पैगम्बर इंसानों को सीधे रास्ते  की ही तरफ बुलाते थे।  चाहे वो पैगम्बर यहूदिओं के लिए आए हों ,ईसाइयों के लिए , हिन्दुओं के  लिए या फिर दुनिया के किसी भी कौम के लिए सारों का एक ही मिशन था  लोगों को सीधे रास्ते  पर लाना।

Siratal Mustaqeem Or Qainaat

इस क़ायनात का जर्रा जर्रा सीधे रास्ते पर है। चाहे वो सूरज हो , चाँद हों ,तारें  हों  या फिर ज़मीन हो या फिर कोई भी चीज़ जानदार या बेजान। क्या होगा अगर ज़मीन अपनी gravitation घटा ले या बढ़ा ले या फिर सूरज ही ज़मीन के  थोड़े क़रीब आ जाये या दूर चला जाये । हम तसऊर भी नहीं कर सकते के फिर क्या होगा। हर चीज़ अपने अपने सीधे रास्ते पर है ताके इस दुनिया का निज़ाम चलता रहे। जिस दिन ये सारी चीज़ें अपने रास्ते से हट गयी तो फिर ये दुनिया ही ख़त्म हो जाएगी।


Siratal Mustaqeem Or Namaz 

सिरातल मुस्तक़ीम और नमाज़ का बहोत ही गहरा ताल्लुक़ है। हर नमाज़ में हमें सूरह अल-फातिहा पढ़नी होती है और इसमें एक लाइन आता है - इहदिनस सिरातल मुस्तक़ीम ( बतला दीजिये हमको रास्ता सीधा ). हम हर नमाज़ में अल्लाह से अपने लिए  सिरातल मुस्तक़ीम मांगते हैं। और  अल्लाह तो हमारी हर दुआ क़बूल करते हैं अगर  हम नमाज़  पाबन्दी  के साथ पढ़ते हैं तो हमें सिरातल मुस्तक़ीम मिल जाती है और इसपर चलना हमारे लिए आसान हो जाता है। 

Ek Bahot Hi Khoobshoorat Baat

जब भी हम सिरातल मुस्तक़ीम की बात करते  हैं एक चीज़ इसमें जरूर  आती है वो है नूर यानि लाइट। लाइट तभी  होगा जब सिरातल मुस्तक़ीम होगा। यानि सिरातल मुस्तक़ीम और लाइट एक दूसरे से रिलेटेड  होते हैं।  अब हमलोग ये जानते हैं के रौशनी सिर्फ सीधे रास्ते  पर सफर करती है (Light travels only in straight path ) . यह curved path पर चल ही नहीं सकती। 

तो इससे हमें ये पता चलता है की अगर हमें नूर (light ) चाहिए तो हमें  सिरातल मुस्तक़ीम पर ही चलना पड़ेगा यानि अल्लाह के बताये हुए रास्ते पर । नहीं तो  हम हमेंशा अँधेरे में ही रहेंगे।  कामयाबी सिर्फ सिरातल मुस्तक़ीम ही है। 



अल्लाह तआला हम सब को  सिरातल मुस्तक़ीम आता करे आमीन सुम्मा आमीन। 

1 comment:

  1. आपकी बात को पढ़कर मेरे ज्ञान में वृद्वि हुई। जजाक अल्लाह।

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